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wow world

Inspirational

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माँ

माँ

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बहुत सोचा, बहुत चाहा, मगर हो नही पाया!

ए माँ...तेरा वजूद, मेरी कलम से, सिमट न पाया!!

क्या कहूं, जब कोख में तेरी, मैं था हुआ समाया!

मेरे जीवन की खातिर, तूने अपना, दांव लगाया!!

पहली बार, जब पहला शब्द, मैंने था तुतलाया!

मारे खुशी के, तेरा मन, था फूला नही समाया!!

छोटे-छोटे कदमों से, जब-जब भी, मैं लड़खड़ाया!

गिर कर फिर संभलने का, तूने मुझको, पाठ पढ़ाया!!

अपनी भूल मानने को, तूने सदा ही, बड़ा बताया!

जिओ और जीने दो को, मेरा सदाचरण, बनाया!!

मुझ से पहले मेरा गम, सदा तुझसे था, टकराया!

निश्छल दुआओं से तूने, मेरा जीवन-पथ, सजाया!!

तुझको पाके तो मैंने, जैसे खुद, खुदा को ही है पाया!

और क्या मांगू खुदा से, जब वो भी, है तुझमें समाया!!

सिर्फ एक दिन नही मैंने, हर दिन, मातृ-दिवस मनाया!

तेरे चरणों के वंदन से, अपना ये जीवन, धन्य बनाया!!

बहुत  सोचा, बहुत चाहा, मगर हो नही पाया!

ए माँ...तेरा वजूद, मेरी कलम से, सिमट न पाया!!

          

             



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