माँ
माँ
"माँ" सहज, निर्मल, धारा
सी बहती हैं।
गंगा, जमुना, सरस्वती
सी रहती हैं।
छुपा कर आंचल में
हमें रखती हैं।
ममता की मूरत माँ
कहलाती हैं।
हर दिन हर रात संभाल
कर रखती हैं।
घर गृस्थी के काम के साथ
ध्यान हम पर बहुत देती हैं।
दया, करुणा, हृदय का दर्पण
माँ कहलाती हैं।
माँ जगजननी, जन्म देने वाली
जन्मदायिनी होती हैं।
हमें अपने आंचल में छुपा
कर रखती हैं।
आंच ना आए हम पर कोई
माँ खयाल हमारा
रखती हैं।