मां शैलपुत्री (२)
मां शैलपुत्री (२)
पहाड़ों की गोदी में विराजमान,
शैलपुत्री, भगवती दिव्य स्वरूप।
शक्ति का प्रतीक, पवन शैलयों में,
महिमा में लिपटी, जहां गिरी-गिरी रूप।
हिमाद्रि से उत्पन्न, नीरजकुमारी,
उनका सानिध्य, घेरे पर्वती धारा।
त्रिशूल धारिणी, माथे चंद्रमा सहित,
प्राकृतिक श्रृंगों में, उनकी विजय सारा।
पृथ्वीश्वरी स्वरूप, स्वर्णिम भूमि में,
उनका सानिध्य, वन-वन में घूमे।
शैलपुत्री की कृपा, पहाड़ों में बाती,
मातृका का स्पर्श, हवा में भरपूर सूँ।
कमल से सजीव, उनका रूप सुंदर,
प्राकृतिक सौंदर्य, उनमें बसा है पुनर्जन्म।
शैलपुत्री, पर्वत और हवा की रानी,
नवदुर्गा की पहली, उनका समर्थन।
