मां कल आज और कल
मां कल आज और कल
जहां
अधिकांश
रिश्ते
स्वार्थ
से
भरे
पड़े
है।
वहां
मां
का
रिश्ता
हीं
है
जो
इससे
परे
है
जैसा
कल
था
वैसा
आज
है
और
भावी
समय
में
भी
वैसा
हीं
रहेगा।
जहां
अधिकांश
रिश्ते
स्वार्थ
से
भरे
पड़े
है।
वहां
मां
का
रिश्ता
हीं
है
जो
इससे
परे
है
जैसा
कल
था
वैसा
आज
है
और
भावी
समय
में
भी
वैसा
हीं
रहेगा।