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Indrajeet Sen

Abstract

2.5  

Indrajeet Sen

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माँ का बलिदान

माँ का बलिदान

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माता चिरकाल से ही मातृभूमि रक्षा हेतु  

बलि प्राण प्यारों की चढ़ाती चली आ रही।


मेबाड़ की आन रख, चंदन के प्राण रख

स्वयं सुत, दांव पर -लगती चली आ रही।


और चली आ रही है वो सम्हाले उस वेदना को

जो वेदना, तिरंगे को - फहराते चली आ रही।


देश में उजाला कर, आंगन अंधेरा कर 

दीप आँसुओं के वो..जलाते चली आ रही।


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