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Manisha Jain

Tragedy

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Manisha Jain

Tragedy

मां - बाप

मां - बाप

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वो जिसने बचपन में तुम्हें गोद में सुलाया था,

क्या याद है वो हाथ जिन्होंने चलना सिखाया था,

मां बाप जिन्होंने जन्म दिया नाम दिया,

कभी बैठके सोचा हमने उनके लिए क्या किया।


इतने सपने उन्होंने संजो के रहे थे,

तुम्हारे सुख के लिए ना जाने कितने कष्ट ढोए थे,

तुम्हे रोता बिलखता देख वे दौड़ के आते रहे,

फिर जब उनके आँसू गिरे आज तुमने कैसे सह लिए।


मां बाप जब याद करे तो कहते हो काम है

नहीं आ सकता,

पर जायदाद के बँटवारे में सबसे पहले

पहुँच जाते हो,

उन्होंने शादी कराई, तुम्हारा घर बनाया,

फिर क्यों तुमने कर दिया उनको पराया।


"बेटियां पराई है ससुराल चली जाएगी,

बेटा हमारा कमा कर खिलाएगा,

बुढ़ापे का सहारा बनेगा"

वे कहते थे,

क्या जानते थे पत्नी, बच्चे और कारोबार में

बेटा भी पराया हो जाएगा।


प्रॉपर्टी, सोना, चांदी सब में तुम्हें बराबर का

हिस्सा चाहिए,

पर माता पिता को संभालने की बात आए तो

कहते हो आगे जाइए,

उस पिता ने बेटे के बेटे तक का घर बसा दिया,

पर पिता को जब जरूरत पड़ी तो दोनों ने ही

सुध ना लिया।


अपने बच्चे बीमार हो तो प्राइवेट अस्पताल ले जाते हैं,

माता पिता बीमार हो तो सरकारी में ठूस आते हैं,

तुम्हें पहला शब्द बोला था तो खुशी से फूले ना समाए थे,

आज तुम्हारे गालियां सुनकर मुंह कहा छुपाए वे।


याद रखना इन कर्मो का फल तुम्हें ही चुकाना पड़ेगा,

कल तुम्हारा बेटा भी तुम्हें यूहीं धक्के देगा,

बड़े खुशनसीब होते है वे लोग जिनके मां बाप होते है,

कभी उनसे पूछ कर देखो जो उनकी याद में रोते है।

               


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