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Rajesh Marandi

Abstract

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Rajesh Marandi

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लम्हें जिंदगी के

लम्हें जिंदगी के

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लम्हें जिंदगी के 

बीत गए कई साल

याद है अब भी खुशियों के पल !


नन्हा - सा था 

नटखट बचपना था

हमउम्र मुन्नों के साथ कुश्ती

खेल-खेल में मस्ती

बस्ती में बड़ा आनन्द मिलता था !


सीधा-सा था

मासूम सकल था

अायी जब समझने की अकल

हुआ स्कूल में दाखिल

पल-पल दोस्तों से खिंचाई

बात-बात में लड़ाई

चिढ़ाई में बड़ा आनन्द मिलता था !


भोला-सा था

बड़ा दिल था

उड़ाता था जब पतंग

भर जाता था मन में उमंग

आसमान में उड़ाने वालों के बीच बरताव 

धागा-धागा के बीच आपस में तनाव

टकराव में बड़ा आनन्द मिलता था ! 


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