लम्हें जिंदगी के
लम्हें जिंदगी के
लम्हें जिंदगी के
बीत गए कई साल
याद है अब भी खुशियों के पल !
नन्हा - सा था
नटखट बचपना था
हमउम्र मुन्नों के साथ कुश्ती
खेल-खेल में मस्ती
बस्ती में बड़ा आनन्द मिलता था !
सीधा-सा था
मासूम सकल था
अायी जब समझने की अकल
हुआ स्कूल में दाखिल
पल-पल दोस्तों से खिंचाई
बात-बात में लड़ाई
चिढ़ाई में बड़ा आनन्द मिलता था !
भोला-सा था
बड़ा दिल था
उड़ाता था जब पतंग
भर जाता था मन में उमंग
आसमान में उड़ाने वालों के बीच बरताव
धागा-धागा के बीच आपस में तनाव
टकराव में बड़ा आनन्द मिलता था !
