लम्हा
लम्हा
ये बात है बहुत पुरानी,
जब मुझमें थी केवल नादानी,
फिर ना जाने क्या बवाल हुआ
इस दिल का बुरा हाल हुआ।
कई लम्हे बीते बस तेरे ही इतँँज़ार में,
ना पूछ ये दिल किस दर्द से गुज़रा
जब ना मिली खबर किसी अख़बार में,
महीनों सालों ,ये अखियाँ बिछा दी
बस तेरे ही दीदार में।
अब जो आया है ये पल कई सालो में
कहीं जाने ना दूँगी,
बस समेट लूंगी तुझे
अपनी हर सांसो की बारात में।

