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Archana Writes

Abstract

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Archana Writes

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लिखती हूँ

लिखती हूँ

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लिखती हूँ साथ ही चलती हूँ,

नंगे पैर पानी में,

पानी की बूँदो से भीग जाती हूँ,

और लहरों संग बहने लगती हूँ,

इस पार नहीं तो उस पार

तेरे संग चलने लगती हूँ,

किन किनारों पर हम होंगे संग,

ना तुझे पता, ना मुझे पता,

लहरें मुझसे कहती हैं,

हमें भी ले चलो संग,

हमें सब पता,

हम उसे छोड़ देते है,

किनारों संग बार बार टकराने को,

और वही बह जाने को,

और हम चल पड़ते है,

अपना घरोंदा तिनकों संग बनाने को।।


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