क्या होने लगा है
क्या होने लगा है
बेचारा दिल अब जरूरत से जादा धड़कने लगा है
पता नहीं क्यूँ अब भर भर के बातें होने लगा है
मुसाफिर मैं भी हूँ और तुम भी हो
फ़िर क्यूँ दरियाँ छोड़ो तरीका भी बदलने लगा है!
आज कल सबकुछ है ऐसा महसूस होने लगा है
नफ़रत छोड़ो कुछ तो होने लगा हैं
और हाँ हम शायद जानते नहीं हैं
पर पानी पी कर भी प्यास होने लगा है!
मजबूर नहीं हूँ फिर भी ख्वाब होने लगा है
सब जानते हुए भी एक राह होने लगा है
अब पता नहीं किस कदर होना है
न चाहते हुए भी दिल में लगाव होने लगा है !
बस ये जानना हैं क्या होने लगा है
जो सोच रही हूँ क्या वो होने लगा है
कुछ नहीं इंतजार ही करती हूँ
जिंदगी खुद मुझे बताएगी की तुझे प्यार होने लगा है!

