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Manmohan Bhatia

Abstract

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Manmohan Bhatia

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कुछ नहीं

कुछ नहीं

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कुछ पाने की इच्छा है

कुछ ऊँचा जाने की इच्छा है

कुछ दूर तक देखने की इच्छा है

कुछ कल को आज पाने की इच्छा है।


कुछ नहीं मिलने का डर लगा रहता है

कुछ अनहोनी होने का डर लगा रहता है

कुछ अपनों के संग रहने की इच्छा है

कुछ दूसरों को मित्र बनाने की इच्छा है।


कुछ सफलता की सीढ़ी पर चढ़ जाने की इच्छा है

कुछ असफलता के डर से नीचे उतरने की इच्छा है

कुछ नहीं मुझे बहुत कुछ देखने की इच्छा है

कुछ नहीं बस मुझे आकाश की ऊंचाई छूने की इच्छा है।।


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