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mala nirola

Abstract

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mala nirola

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कुछ बात तो मुझ में है

कुछ बात तो मुझ में है

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कुछ बात तो है मुझ में जरूर 

वो कमजोर कहते हैं और लगे हैं सताने

आंधियों में कई चिराग मैंने जलाए

देखो वो आज चले हैं मेरी हस्ती मिटाने।

संभालो खुद को अरे संभलो जरा

 मुझको न छेड़ो न साधो निशाने

कायर नहीं मैं अकेले में फौज हूं 

मुझे जैसे तुमको ना मिलेंगे दीवाने।

तोड़ पाया न कोई मेरे हौसले को

टिक पाया न मुसीबत मेरे सामने

चट्टान सी हूं ना लो कोई पंगा

आई हूं फिर आज तुमको यह बताने।


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