कर्म
कर्म


कर्म कर फल की इच्छा न रख
है यह गीता का ज्ञान
आम आदमी क्या जाने
जो करे रात दिन काम।
हर काम करे वो फल इच्छा से
पूर्ण हो तो खुशी का न कोई पारावार
न मिले इच्छानुसार फल,
तो हो दुख होता अपार।
इच्छापूर्ति कर देती है पथ भ्रष्ट
अंधी दौड़, पाने में जीवन होता नष्ट
नष्ट होते कर्मों का हिसाब न जाने
बस पैसा कमाना अपना ध्येय माने।
होश तब आता है जब सब लुट जाता
कर्मों का हिसाब कोई पैसा न दे पाता।
सब कुछ लूटा कर होश में आए तो क्या हुआ
सिर पीट पछताए तो भी न कुछ हुआ ।