कर्म सिद्धांत
कर्म सिद्धांत
जो बोओगे वही तो तुम,
काटोगे भाई।
सोच समझ के बोना भैया,
चले न चतुराई।।
आम बीज का बोके आए,
पाओ रस भाई।
जो बबूल का बोके आये,
फंसो मरो जाई।।
दान पुण्य तुम करके आए,
रहो स्वर्ग भाई।
जो अपराध बने हो तुम से,
पड़ो नरक जाई।।
जो तुम सेवा करके आए,
सेवा ही पाई।
जो सेवा करवा के आए,
रहो दास जाई।।
न्याय धर्म पे चल के आए,
जय होगी भाई।
जंगल न्याय पे चल के आए,
कटो पशु जाई।।