सुमंदर छंद...
सुमंदर छंद...
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सरसी/कबीर/
मात्रा 27(16,11) चरणांत21
विधा-गीत, शब्द -विश्वास
जीवन के इस कर्म क्षेत्र में,
हिय में रख विश्वास ।
धर्म युद्ध में तय है सत को,
मिलता जय विन्यास ।।
जीवन के इस कर्म...
परहित खातिर सब कुछ तजकर,
हो अनुपम आगाज ।
अपनों से भी लड़ना होता,
बनता गात सुराज ।।
किसको मानें दोषी अब तो,
जग है पापी राज ।
मिलता है सुख का स्वर्ग यहॉं,
करिए पावन काज ।।
दुख की गलियॉं हर्षित होंगी,
खुद को करिए खास...
जीवन के इस कर्म...