कर्म हैं तुम्हारे
कर्म हैं तुम्हारे
मैंने तोड़ा मरोडा, कूटा, पीटा, पटका
किए टुकड़े टुकड़े, पीसा बारीक
वह फिर खड़ा हो गया
मैंने गलाया, जलाया, डुबोया
वह फिर आ गया
मैंने पूछा _तुम कौन हो
सुर, असुर, माया, महा माया
भूत प्रेत, साया
कौन हो तुम
झूठ, सच हो धोखा हो, छलावा हो, काया हो, छाया हो
उसनें कहा - मैं हूँ कर्म, तुम्हारे कर्म
और तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ूंगा तब तक
जब तक कर्म हैं तुम्हारे.