कर लो नारी का सम्मान
कर लो नारी का सम्मान
का लो नारी का सम्मान, मुझसे ही है, तुम्हारा मान
मुझ में भी है प्राण, मुझमे भी है जान।।
मेरे बिन ये सृष्टि अधूरी
करती रहती हूँ सबकी अभिलाषाएं पूरी।।
कर लो नारी का सम्मान, मुझसे ही है तुम्हारा मान
मुझमें भी है प्राण, मुझमें भी है जान।।
मेरे है रूप अनेक
माँ, पत्नी, बहन, बहू और बेटी।
घर को बनाती हूँ स्वर्ग मैं
बहू बनकर आऊँ या बेटी।।
कर लो नारी का सम्मान, मुझसे ही है तुम्हारा मान
मुझमें में भी है प्राण, मुझसे भी है जान।।
सहनशीलता दया, ममता, सामंजस्य की मूर्ति हूँ मैं।
कुछ भी कर लो, कुछ भी कह लो,
नही डगमगाता मेरा ईमान।।
कर लो नारी का सम्मान, मुझसे ही है तुम्हारा मान
मुझमे भी है प्राण, मुझमे भी है जान।।
इस जगत की पालनहार दुर्गा, चण्डी, काली, ज्वाला, अन्नपूर्णा हूँ मैं।
मेरी निष्ठा को जानो तुम, मेरी वेदना को समझो तुम।।
कर लो नारी का सम्मान, मुझसे ही है तुम्हारा मान
मुझमे भी है प्राण, मुझमे भी है जान।।
पूरी सृष्टि का सार हूँ मैं, इस धरा पर प्राण हूँ मैं
फिर आज क्यों सुरक्षित नही हूँ मैं,
क्या कभी सोचा है तुमने, अब तो जागो हे प्राणी,
दुर्गा स्वरूपा जगत जननी माता हूँ मैं।।
कर लो नारी का सम्मान, मुझसे ही है तुम्हारा मान,
मुझमे भी है प्राण, मुझमे भी है जान।।
जिस दुर्गा को पूजते हो तुम फिर उसकी छवि पर कैसे करते वार,
मत करो हे प्राणी नारी जाति पर अत्याचार।।
अब अबला नही सबला हूँ मैं,
शक्ति स्वरूपा जगत जननी माता हूँ मैं।।
कर लो नारी का सम्मान, मुझसे ही है तुम्हारा मान
मुझमे भी है प्राण, मुझमे भी है जान।।