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Deepak Singh Rawat

Abstract

4.7  

Deepak Singh Rawat

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कोरोना

कोरोना

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443


ओ कोरोना ओ कोरोना

क्यूँ तुझसे सब कुछ खोना  

जो इंसान सोच भी ना सके

कुदरत जिसको रोक भी ना सके।


अपने समय पर तूने जो दी दस्तक

मौत भी तेरे आगे हो गई नतमस्तक

दुनिया मे आतंक सा फैला दिया

क्या सच मे कलयुग का अंत सा आ गया।


समस्त दुनिया को लॉक डाउन करवा दिया

तूने अपना स्वरुप दिखला दिया

अब तक तुझे ना कोई भेद पाया

ऐसी कैसी है तेरी माया।


तु ना तो है थम रहा

ना तुझे कोई है रोक रहा।

ऐसा तांडव इस दुनिया में मच रहा

सब खामोश होकर तु पनप रहा।


इंसान की तेरे आगे क्या है फितरत  

वो बना हुआ है जैसे मूक दर्शक

इंसान सोच रहा कब होगा अंत तेरा

और कौन है जो तोड़ेगा चक्र तेरा। 


ये चक्र टूटना है बहुत जरुरी

नहीं तो मृत्यु आस पास रहेगी

और हर पल हम सबसे ये कहती रहेगी

क्या कोरोना ही है वो पहेली जो हमेशा उलझी रहेगी।


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