कोरोना कहें या कर्मों का फल
कोरोना कहें या कर्मों का फल
एक कोरोना ने कितना कुछ बदल दिया ना,
या यूँ कहुँ की प्रकृति ने इंसान के
अहंकार को तोड़ने के लिए दखल दिया है।
कोरोना के आगे सबने घुटने टेक दिए,
बड़े-२ हस्तियों के छोटे-छोटे
किटाणुओं ने दिमाग सेंक दिए।
हम इंसान खुदको समझ बैठे भगवान थे,
पर अब प्रकृति ने हमे बतला दिया
कि हम उसके लिए हैवान थे।
अब घर से बाहर पांव रखने में भी डर-सा लगता है,
आजकल अखबारों में भी कहाँ
कोरोना के सिवाय कुछ छपता है।
हैवानियत-बलात्कार की खबरें
अब सुनने को मिलती कहाँ हैं ?
अब हैवान की हैवानियत एक
किटाणु की वजह से दिखाई देती कहाँ है ?
जो कहते थे देश की मीडिया-
डॉक्टर्स-पुलिस को चोर,
अब वही घर में दुबक कर बैठे हैं
जो खुदको समझते थे शक्तिशाली-कठोर।
कुछ लोग भगवान पर
आरोप पर आरोप धर रहे हैं,
कि भगवान धरती पर इतना
क्यों प्रकोप कर रहे हैं,
सुनो जनाब ! प्रकृति की दुर्दशा देख
भगवान मजबूर सा हो गया था ऐसा एक्शन लेने को,
पृथ्वी को कोरोना रूप में
Nature-Saviour इंजेक्शन देने को।
अब देखो जीव-जंतुओं का भी
सांस लेना कितना सरल हो गया है,
इस धरती का जल फिरसे स्वच्छ तरल हो गया है।
जब पंजाब की पराली का धुआं
हिमाचल के हिमालया के दृश्य का करता तौबा था,
आज वही हिमाचल के हिमालय
दृश्य बढा रहे हैं पंजाब की शोभा।
सालों से जो घर-परिवार से दूर हो गए थे,
काम के pressure में थक-हार कर
चकना चूर हो गए थे,
कोरोना के बहाने भगवान
उनको अपनो के करीब लाया है,
सबको अपना बचपन याद दिलाया है,
परिवार का महौल कुछ ऐसा बनाया है।
कोरोना तो प्रकृति का एक बहाना था,
फिरसे सबको reset-mode पर जो लाना था।
चलो ! अब सब छोड़ो, एक नई शुरुआत करते हैं,
कान पकड़ कर धरती माँ को Sorry
बोलकर अपने अस्त्तित्व को याद करते हैं,
खुद का अहंकार त्याग कर अपनी की हुई
गलतियों का अहसास करते हैं,
धरती माँ की हरदम रक्षा करने का प्रयासः करते हैं,
अतः भगवान से हाथ जोड़कर प्राथना करते हैं,
चलो कोरोना को जड़ से खत्म करते हैं
चलो कोरोना को जड़ से खत्म करते हैं।
