"नया सफर और यह हवा"
"नया सफर और यह हवा"
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किसी ने सच कहा है
"सफ़र खूबसूरत है मंजिल से भी"
पर इस सफ़र को खूबसूरत बनाता हवा का अंदाज़ ही।
मैं भी निकला हूं जिंदगी के नए सफ़र के आगाज में,
मेरे साथ यह हवा दे रही मेरे इस सफ़र को आवाज।
यह हवा मेरे रूबरू यूं झूम रही,
जैसे मानो मेरे गालों को स्पर्श करके मुझे चूम रही।
मेरे साथ इन अनजाने रास्तों में यह हवा भी साथ चल रही है,
और आहिस्ते आहिस्ते यह सुहानी शाम भी ढल रही है।
किशोर जी के गानों के साथ यह हवा भी गुनगुनाने को मजबूर है,
जैसे हम बेहतर कल के लिए घर से दूर जाने को मजबूर है।
अब तो इन अनजान रास्तों से भी करनी पड़नी यारी है,
इसलिए इस सफ़र को और खूबसूरत बनाने की कर ली मैने तैयारी है।