कोमल हूँ कमजोर नहीं
कोमल हूँ कमजोर नहीं
मैं कोमल हूँ पर कमजोर नहीं
पूज्या हूँ भौग्या नहीं
नूतन हूँ पर पुरातन के साथ हूँ !
शक्ति हूँ, ज्ञान हूँ, विज्ञान हूँ,
पर सनातन के साथ हूँ
मैं गीता हूँ, वेद हूँ, पुराण हूँ !
चाँद और मंगल की उड़ान हूँ !
सीता हूँ, सावित्री हूँ,
महादेवी सी कवियित्री हूँ !
अहिल्या हूँ, गौतमी हूँ,तारा हूँ
मैरीकॉम,इन्द्ररा नूरी हूँ
पृथ्वी की मैं घूरी हूँ !
निराधार नही, सृष्टि का आधार हूँ !
बोझ नहीं मैं,पालनहार हूँ !
सृष्टि हूँ संहार हूँ!
कोख से मेरी सृष्टि है जन्मे
युगों युगों से सृजनहार हूँ !
मैं बेटी हूँ पर बेटों का आधार हूँ !
नारी हूँ पर नारायण का आधार हूँ !
करूणा हूँ, ममत्व हूँ,
शृंगार हूँ प्रेम का संसार हूँ !
वंदन हूँ अभिनन्दन हूँ,
केसरी मैं सारी हूँ!
दुष्टों पे मैं भारी हूँ!
मैं रूप हूँ, मैं यौवन हूँ,
मै तरूणायी हूँ, मैं अंगड़ाई हूँ !
मैं मीरा की रूबाई हूँ,
रामायण की चौपाई हूँ!
मै झाँसी वाली रानी हूँ
नित्य नई कहानी हूँ !
मै शिक्षिका,मै लेखिका
मैं तैराक, मै विख्यात
डाक्टर व वकील मैं,
नए युग नए ज़माने में,
नारी की हर दलील मैं
मैं उड़ान, मैं नई पहचान !
मुमकिन भी मैं, नामुमकिन भी हूँ !
तलवार भी मैं,घार भी मैं !
वार भी प्रतिकार भी
चक्र सुदर्शन भी मैं, खंडा खप्पर भी मै!
मैं ही लक्ष्मी, मै सरस्वती,
मैं रणचण्डी महाकाली भी मै !
जिसे कोख में मिटा रहे हो तुम,
वो शिवा,आदिशक्ति.विकराली भी मैं,
बेटों के मोह में करते हों जो गुनाह तुम
तुम्हारे उन गुनाहों की क्षमा भी मैं!
मैं हार भी मैं जीत भी
मैं राधा वाली प्रीत भी !
मै प्रीत भी मैं मनमीत भी
नज़र उठा कर देखो ज़रा, मै ज़र्रे ज़र्रे में,
हर कदम पुरूष के साथ हूँ!
फिर भी क्यूँ ?
इस दंभी पुरूष की विलासिता की विसात हूँ
विरासत की नफरत का शिकार हूँ !
मन्दिर नहीं बाज़ार हूँ!
अत्याचारों का सिलसिला हूँ
कभी कोख में मिटा दी जाती हूँ !
कभी ज़िन्दा जला दी जाती हूँ!
कभी अगवा मुझे कर बलात्कार होता हैं !
कभी एसिड फ़ैक कर,पुरूष अपने पौरुष का दंभ भरता है!
कभी दूध मुँही बच्चियाँ वासना का शिकार होती है
तो कही मानसिक विक्षिप्त दुराचार के बाद
रेलवे टैंक पे लिटा दी जाती हैं !
क्यूँ बेटियाँ मिटा दी जाती हैं ?
क्यूँ बेटियाँ मिटा दी जाती हैं ?