'कलम' से 'ख्याल' आया
'कलम' से 'ख्याल' आया
'कलम' पकड़ी हाथ में तो, दिल में यह 'ख्याल' आया,
मानो जुदा हुआ था जो, वो अपना पुराना प्यार लौट आया।
हसरतें तो बहुत थी जिंदगी, गम नहीं, अब वो लौट आया,
'ख्याल-ऐ-कलम' यू ही सोचता हूँ कि मेरा यार लौट आया।
ज़ुस्तज़ू थी जिसकी, वो कभी लौट कर नहीं आया,
फिर भी क्यों सोचता हूँ मैं, कि वो अब आया, यह आया।
मैं गुमशुद रहता हूँ, यू ही 'ख्यालों' में कि वो लौट आया,
दिल कहता है कि वो आया, मैं जानता हूँ कि नहीं आया।
'कलम' है ही ऐसी, पकड़ते ही 'ख्याल' यह वापस आया।
बिछुड़ गया था जो मेरा यार, मानो वह वापस लौट आया।