कलम की अग्नि
कलम की अग्नि
इस कलम की अग्नी की ताकत क्या जानो l
शब्दो के पीछे छिपी हरकत क्या जानो ll
कोई उपर चढ़ा;कोई नीचे गिरा ईससे l
बदली है कितनों की किस्मत क्या जानो ll
बनो चाहे कवि या बनो डॉकटर जिंदगी में l
पड़ती सबको इसकी ज़रूरत क्या जानो ll
थाम सकते हो इन शब्दों को तुम मग़र।
इस बदलते अर्थो की फ़ितरत क्या जानो।।
कई ना थाम सका यूँ ही हाथों में इन्हें।
मिलती; हो खुदा की इनायत क्या जानो।।