कल रात का अजीब सपना
कल रात का अजीब सपना
कल जब मैं आपका विषय देख रही थी
अचानक ही मुझको नींद आ गई फिर
क्या बताएं क्या हुआ।
कल रात जब मैं सोई पड़ी थी।
मुझे लगा आसमान में उड़ रही हूं।
बहुत सुंदर बहुत सुंदर
बहुत ऊंची बहुत ऊंची
नीचे का नजारा बहुत ही सुंदर ।
आकाश में मजा आ रहा था।
ऐसा लग रहा था।
जैसे मैं कोई पक्षी हूं आकाश दुनिया शहर को निकली हूं ।
अचानक देखती हूं एक बड़ा दरवाजा आया।
उसके बाहर लोगों की बहुत भीड़ थी एक जना आगे आया।
सुंदर दरवाजा बंद था।
मैंने सब तरफ देखा,
फिर पूछा कि यह क्या है
वह बोला यह स्वर्ग का दरवाजा है।
मगर अभी बंद है।
क्योंकि बहुत लोग धरती से आ गए हैं।
और इनके पास हिसाब नहीं है।
तो जिसका नाम बोलें उसको अंदर जाना है।
हम अपने बारी का इंतजार कर रहे हैं।
मैं घबराई क्या क्या मैं मर गई हूं
मैंने नींद में ही अपने हाथ पांव संभाले ।
और जोर से चिल्लाई ।
एकदम आंख खुल गई।
लगा अरे यह तो सपना था अधूरा सपना।
जो कभी भी हो सकता है पूरा ।
इसीलिए ऐ बंदे कर्म कर तू अच्छे।
तो मिले स्वर्ग के द्वार हमेशा खुले ।
कर्मों का खेल है न्यारा।
जो जैसे कर्म करेगा।
वैसा फल देगा भगवान यह बात मुझे समझ में आई।