Amrita Pandey

Inspirational

4.5  

Amrita Pandey

Inspirational

किताब

किताब

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कभी- कभी ही क्यों ? रोज पढ़ी जाएं किताबें

थक चुकी हैं ये बंद पड़ी-पड़ी अलमारियों में

कभी दीमक की चोट सहतीं, कभी सीलन की मार

ये भी चाहती हैं खुली हवा में सांस लेना

हाथों में सजना और दिल दिमाग का दर्पण बनना,


जीने का सामान होती हैं किताबें

खोजी हर एक दिल का अरमान होती है किताबें

ले जाती है पल भर में दूरदराज हमें

कभी हरी-भरी वादियों में, कभी कंक्रीट के जंगलों में

विविधा दिशाओं में चलायमान होती हैं किताबें,


तनहाई में डूबे मन का सुकून हैं ये

ज्ञान का असीम अनछुआ भंडार

 मनोरंजन और रचनात्मकता का अबूझ संसार

गीता, रामायण, कुरान, बाइबल

गुरु ग्रंथ साहिब का दरबार होती है किताबें,


कितने कितने किरदारों को ढोती हैं अपने भीतर

भले बुरे की पहचान होती हैं

कितने जज़्बात, भावनाओं के तार जोड़े रखती हैं

कल से आज और आज से कल तक की

सुंदर तस्वीर होती है किताबें,


इंसान से कहीं ज़्यादा समझदार होती हैं 

अटी पड़ी रहती हैं दराजों में, पुरानी अलमारियों में

बेनूरी का डर सताता है इन्हें भी रह रह कर

बेहतरीन होती हैं तो बेशक खुद को पढ़वा लेती हैं

वरना इंसान की बेदिली पर चुपचाप मुस्कुराती हैं किताबें।



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