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Amrita Pandey

Children Stories

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Amrita Pandey

Children Stories

सुंदर संसार बचपन का

सुंदर संसार बचपन का

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पन्ने जो यादों के खोलें, मन डूब गया उन लम्हों में

वापस आ पाना मुश्किल था जिन भूल भुलैया गलियों से,

मैं भूली थी जिन गलियों को, बागों को और कलियों को

बसे हुए थे जो अब तक मन की धुंधली सी यादों में।


गुड्डे गुड़िया का ब्याह, खेलकूद और परियों की

कहानी याद आ गई आज मुझे फिर बबली,

मुक्ता और हिमानी,

वो दादा जी का बाग, आडू, आम और खुबानी

चुपके चुपके चुरा कर खाना, कैसी थी हरकत बचकानी।


यादों के पन्ने खोले तो एक पीर उभर आई

दादी नानी की प्यारी सी तस्वीर नज़र आई,

आंखें मूँदकर जो बैठी आज तो याद आ गई वो कहानी

मां बाबा की गोद में प्यारी नन्हीं सी बिटिया रानी।


यादों के पन्ने खोले तो कुछ सूखी पंखुड़ियां महक उठी

अल्हड़पन के प्यार की दिल में इक हूक उठी,

वो पास फेल वाला मिट्ठू राम

दादू के बाग के कच्चे-पक्के आम


वह कठपुतली का खेल, पहली बार देखना रेल

कौतूहल की उस दुनिया में, दिल से दिल का सच्चा मेल,

इतिहास की हर खट्टी मीठी बात याद आ गई

पन्ने यादों के खोले जो.......


वो चित्रहार के गाने, वो सीरियल पुराने

यादों के पन्नों में लिपटे वो दिन सुहाने,

बचपन की वो प्यारी दुनिया रंगीन नजर आयी

सीधे सच्चे उस युग की कई तस्वीर उभर आयीं।


गम में डूबे रांझे की कहीं कोई हीर नजर आई

वह लछमसिंह की मिठाई, वह मामू की चाय,

शिब्बन अंकल का पान, चौधरी की चाट की दुकान

चलचित्र की तरह हर बात याद आयी

यह सपनीली यादें ही हैं मेरी जीवन रेखा

मैंने बचपन से सुंदर संसार कहीं ना देखा।



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