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Surbhi Tripathi

Tragedy

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Surbhi Tripathi

Tragedy

किनारा कोरोना

किनारा कोरोना

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ये कैसा समय आ गया है,

दो गज दूरी ने ही बचाया है।

सारी दुनिया की जनसंख्या साफ होती जा रही है,

कुछ इस तरह से कोरोन ने उधम मचाया है।


पहले अपनो से मुलाकात का वक्त नहीं था,

अब अपनो से मुलाकात का दस्तूर नही,

हर किसी के मन मैं यही शंका है कि

अपने दोस्त की खांसी कही कॉरोना तो नही है...!


घर मैं कैद इंसान बस इसी उधेड़ बुन में लगा हुआ है,

कही ये लॉकडॉन की खट्टर ,

रोजगार न काट कर रखदे,

पर क्या करे लोग अपनी आदत से मजबूर है,

घूमने फिरने को फिर आतुर है,


बाजारो को देख कर लगता है रोज,

इन्हे मास्क नही लगाने का और दो गज दूरी न रखने का है पहला रोग,


जब तबियत बिगड़ी जाति है,

और कोई अपना चला जाता है,

तो बस मन मैं यही मलाल रह जाता है,

की काश नियमों को तोड़ कर इतने खुश नहीं हुआ होते,

तो आज अपने दोस्त , प्रिवजन जीवन का साथ छोड़ ऐसे चले नही गए होते।


अभी भी समय है,

कोरोना को कम आंकना छोड़ दीजिए,

नियमों का मखौल बनने से मुंह मोड़ लीजिए।


वरना वो दिन दूर नही होगा,

जब पास कोई अपना नहीं , 

बस चारदीवारे, ऑक्सीज सिलिंडर, और खास आपके लिए लाए गए इंजेक्शन , 

प्राण वायु नापने की डिब्बी और पी पी किट में लिपटे दूत ही साथ होगा।



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