खुद का रख तू ख्याल अब।
खुद का रख तू ख्याल अब।
प्यारी सखियों
तुम उड़ो!
तुम आनंद मनाओ।
तुम शोर मचाओ।
सैर सपाटे के लिए जाओ।
तुम स्वयं के बारे में सोचना सीखो।
घर-द्वार, प्रिय जन की देखभाल करती हो न ?
सबकी बहुत हुई देखभाल और सेवा
अब स्वयं की भी कुछ खातिरदारी कर लो।
तुम्हारे अंदर भी एक नटखट, खुशमिजाज, चुलबुली, शौकीन सी ही बालिका छुपी हुई है जी,
तुम झांको तो सही एक बार!
खोजो तो!
उसको सराहो !
उससे एक मुलाकात करो! उससे बातें करो !
उसी से मनुहार करो।
दिन का एक घंटा स्वयं के लिए आरक्षित कर लो,
इस अवधि में तुम करो वही जो तुम्हारा हृदय चाहे करना बार-बार ।
मन की दस्तक सुनकर मन की मुराद पूरी कर डालो इस एक घंटे को खुद को दे डालो।
तुम्हारे भीतर जो बच्चा है उससे मिलो ,उसको दुलरावो , उससे भी हो जाती है गलती ,
तो कभी-कभी कुछ गलती भी कर लो ,
फिर से बचपन में लौट जाओ कुछ देर के लिए ही सही, बच्चा बन जाओ न,
उसे कभी कभी गलती भी करने दो ,
कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा, फर्क नहीं पड़ता,
जीवन में हर बात में,हर पल में, खुशियाँ ढूँढो,
जरूर मिलेंगी, बस अपने भीतर के चुलबुले पन को अपने साथ रखो।
सखियाँ सहेलियां बनाओ,
मित्र मंडली के संग मौज मस्ती करो कभी-कभी घूमने जाओ खरीदारी करो अपने को खुश करो।
खुद की अभिव्यक्ति व्यक्त करो ।
कभी कभी डायटिंग को छोड़कर छक कर खाओ कभी कभी डायटिंग की फेहरिस्त रख दो,
मस्तानी बन जाओ देशी घी का तर माल खाओ।
हो जाने दो जरा उलट पलट
कर लो थोड़ा अगड़म बगड़म ,
रहने दो घर कुछ बिखरा बिखरा कुछ फर्क नहीं पड़ता ।
कभी-कभी सब कुछ चलता है,
पैर पर पैर रखो टीवी देखो,
फोन पर लंबी बातें करो ।
खरीदारी करने की लंबी लिस्ट बनाओ, मनपसंद मेकअप कर ,
तैयार हो कर घूम आओ।
तो कभी सखियों संग
पिक्चर देखने में कोई हर्ज नहीं।
बच्चों के कम अंक आए
तो क्या हुआ आने दो ।
गिर कर ही तो संभलना सीखेंगे ।
कभी कभी यारों बस जाने भी दो ना कहकर भी तो देखो ।
अरे अब तो मेरी उम्र हो गई है!
अब क्या रखा है इन सब बातों मे ?
हम कहां कर पाएगे ?
तो पहले आजमाएं ,
फिर देखिए क्या कुछ है !
जो आप अभी भी कर सकती हैं।
ऐंसी सोच को कभी मत गले लगाओ।
क्योंकि, उम्र तो एक नम्बर ही तो है! दोस्तों।
खूब जी लिए सबके लिए,
अब चलो खुद से,
खुद की पहचान कराएं ,
आओ अपने लिए ,
अपनी खुशी के लिए निकाले समय।
तुम्हारे चेहरे पर खिली रंगत और मनोहारी मुस्कान देख,
है ये मुझको पता की
सारा घर भी खिलखिला उठेगा जी।
घर की रानी जो आनंदित तो खिलखिलाती रहती दरों दीवार भी ।
सुनो गिरह बांध लो ,
मेरी ये एक पते की बात!
बस खुद के लिए ,
कुछ पल आरक्षित कर लो ।
बावरे से चंचल मन में,
कोई संदेह मत रखो ,
बस यही ,
कहिए कि ,ऐ जिंदगी मुझे तुमसे प्यार है।
जो भी नहीं किया अब तक! अब सब है करना ।
बस अब खुद से है, सबको मिलवाना ।
