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Anshu Kast

Abstract

4.5  

Anshu Kast

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खंडित पाकिस्तान चाहिए

खंडित पाकिस्तान चाहिए

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 बदला नहीं समाधान चाहिए

जन जन का आह्वान चाहिए

बहुत हुआ इम्तिहान सब्र का

अब खंडित पाकिस्तान चाहिए


हर मन में आक्रोश भरा है

आँसू पीड़ा व्यथा ह्रदय में रोश भरा है

कहें कहां तक कैसे समझाएं

मनः स्थिति कैसे सबको बतलाएँ 


निष्प्राण देह जब सिंहों की

लिपट तिरंगा में आती

हर आँख नम हो जाती

क्रंदन करती घर की माटी


बहुत खो चुके अपने वीरों को 

अब आतंक का कब्रिस्तान चाहिए

बदला नहीं समाधान चाहिए 

अब खंडित पाकिस्तान चाहिए


कायर है वह फिर से उसने

धोखे से है वार किया

फितरत ही है उसकी ऐसी

एक बार नहीं सौ बार किया


उन्हें जान की क्या कीमत

जो मानव बम बनवाते हैं

पर उन गद्दारों का क्या 

जो घर में आग लगाते हैं


अफजल प्रेमी उन लोगों का

अब अंतिम सामान चाहिए

बदला नहीं समाधान चाहिए

अब खंड खंड पाकिस्तान चाहिए।


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