STORYMIRROR

Bhawana Tomar

Romance Classics

4  

Bhawana Tomar

Romance Classics

खिड़की

खिड़की

1 min
370

पिया भए परदेसी

दिन रैन रहूँ सुबकती

आँसू रोके आँखों में

फ़िरूँ दुनिया से दुबकती


याद आते हैं वो दिन

जब थे पिया मेरे साथ

आँखों में आँखें डाल के

घंटों करते मीठी बात

जाना चाहूँ जब भी मैं

रोक लेते पकड़ कर हाथ


दिल को राहत

तब मिल जाती है

एक खिड़की है

जो खुल जाती है

दुख दर्द की मैल

फ़िर धुल जाती है


ईश्वर का कहूँ चमत्कार

या विज्ञान का अविष्कार

जो पाती हूँ उनकी एक झलक

आँखों में भर कर प्यार


बोल लेती हूँ फ़िर उनसे

प्यार के दो मीठे बोल

शुक्रिया उस खिड़की का

वो खिड़की है वीडियो कॉल।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance