खिड़की
खिड़की
पिया भए परदेसी
दिन रैन रहूँ सुबकती
आँसू रोके आँखों में
फ़िरूँ दुनिया से दुबकती
याद आते हैं वो दिन
जब थे पिया मेरे साथ
आँखों में आँखें डाल के
घंटों करते मीठी बात
जाना चाहूँ जब भी मैं
रोक लेते पकड़ कर हाथ
दिल को राहत
तब मिल जाती है
एक खिड़की है
जो खुल जाती है
दुख दर्द की मैल
फ़िर धुल जाती है
ईश्वर का कहूँ चमत्कार
या विज्ञान का अविष्कार
जो पाती हूँ उनकी एक झलक
आँखों में भर कर प्यार
बोल लेती हूँ फ़िर उनसे
प्यार के दो मीठे बोल
शुक्रिया उस खिड़की का
वो खिड़की है वीडियो कॉल।