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Anupam Agrawal

Inspirational

1.0  

Anupam Agrawal

Inspirational

खिड़की

खिड़की

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कुछ तो है इस द्वारपाल में भी
हज़ारों पल कितने होंगे बिताये
दर्द भी इसने समझा होगा बहुत 

यूं ही नहीं शायद तुमने आंसू बहाए
एक चाय का प्याला ही है बहुत 
सारे गम भुलाने को
झोंको में है नमी बहुत 
सारे आंसू छुपाने को

यूं खिड़की ही नहीं कुछ बोलती 
कंधे पे उसके तुम
ज़िंदगी की राहें टटोलती
सारे उलझे दिमाग सुलझा देगी 

ये खिड़कीउम्मीदें, बस तुम्हारी आखिरी उम्मीदेतुमसे यही हैं बोलती...।।ं 


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