खिड़की...। खिड़की...।
जहॉं बहे फिज़ा लेकर जज़्बात, वहॉं बसे इश्क हर सॉंस में...! जहॉं बहे फिज़ा लेकर जज़्बात, वहॉं बसे इश्क हर सॉंस में...!
ऑफिस की खिड़की से, होने वाली सुबह देखता हूँ...! ऑफिस की खिड़की से, होने वाली सुबह देखता हूँ...!