ख़्वाब
ख़्वाब
कुछ ख़्वाब देखे हैं मैंने भी
औरों की तरह,
कुछ ख्वाब देखे हैं मैंने भी
आम आदमियों की तरह !
मुकम्मल होना न होना
तो बाद की बात है,
पर कुछ ख्वाब देख पाई
अपने लिए वही बड़ी बात है !
मैं कहाँ कोई ऐसी हस्ती,
जो जिस चीज़ पर हाथ रख दे उसे ही पा ले !
मैंने तो बस कुछ ख़्वाब देखे हैं
बुज़दिलों की तरह,
जिनका खुलकर ऐलान करने की
हिम्मत भी नहीं जुटा पाई हूँ डरपोकों की तरह !
मेहनत रंग लाएगी या मिटटी में मिल जाएगी
ये सब तो किस्मत की बात है,
उस तक का सफर तय करना
और चलना यही तो बस है !
किसी ने बहुत खूब कहा है,
"सपने वो नहीं होते जिन्हें आप सोते समय देखते हैं,
सपने तो वह हैं जो आपको देते।"
मैं पूछती हूँ मेरा तो सोते जागते
हर पहर बस एक ही ख़्वाब है,
तो क्या जूनून काफी है उससे पा लेने के लिए ?
ज़िन्दगी की सच्चाई और उससे
अपेक्षाओं से ऊपर उठकर यह सपना देखा है मैंने,
अब देखना सिर्फ यह है कि
उस ख़्वाब को सच कर पाने की
हिम्मत जुटा पाऊँगी कि नहीं !
