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Pragati Shinde

Crime Inspirational Others

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Pragati Shinde

Crime Inspirational Others

कब तक?

कब तक?

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कब तक अपना मुहाना दबाए चुप बैठी रहोगी?

अपने हक़ के लिए लड़ना तुम कब सीखोगी?

हाँ मुझे भी लड़ना आता है तुम कब कहोगी?

खैर माफ करना भूल गए थे,

अगर तुम कह भी देती हो तो तुम्हें दबाया जाता है,

और अगर तुम सह भी लेती हो तो तुम्हें सताया जाता है,


तुम वो नहीं जैसे तुम्हें दुनिया जताती है,

आज तुम्हें तुमसे मिलाने की ज़िद पूरी करनी है,

तुम्हारी इज्ज़त करना हमें संस्कृति सिखाती है,

आज तुम्हारे हाथों मैं बंधी बेड़ियाँ तुड़वानी है,


तेरी आज़ादी पर बंदिशें लगाने का किसी को हक नहीं,

तुम्हारे चरित्र पर सवाल उठाने का किसी को हक नहीं,

तुम्हारी नियत पर शक करने का किसी को हक नहीं,

तुम्हारे अतीत सेे तुम्हें परखने का किसी को हक नहीं,


तुम हारती नहीं तुम्हें हराया जाता है,

रात को अकेले बाहर मत जाना,

कुछ ऐसा डर तुम्हें दिखाया जाता है,

पर तुम सच में डर मत जाना,

क्योंकि तुम डरती नहीं तुम्हें डराया जाता है।


 



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