कब आएगी राखी रे
कब आएगी राखी रे
कब आएगी राखी रे।
रास्ता देखूं चिट्ठी आई सूनी पड़ी कलाई रे।
बहना बात बात में तेरी ,आकर याद दिलाएं रे
कब आएगी राखी रे
माना कि तू दूर है इतनी रोज रोज ना आए रे
फिर भी बचपन के वो दिन तेरी याद दिलाए रे।
सूना सूना घर है रहता खेल जो संग में खेले रे
गया नहीं मैं कब से अकेला रोज-रोज के मेले रे
भाई बहन के प्यार बिना रिश्ते सारे अकेले हैं
जल्दी से तुम धागा भेजो तेरी फिक्र सताए रे।
और कहूं क्या बाकी रे ,कब आएगी राखी रे।
रास्ता देखूं चिट्ठी आई सुनी पड़ी कलाई रे।
बहना बात बात में तेरी ,आकर याद दिलाए रे