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कौन हो तुम पूछने वाले

कौन हो तुम पूछने वाले

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जन्म यहीं का है हमारा

हमें तो किसी का डर नहीं

कौन हो तुम पूछनेवाले

क्या अधिकार है तुम्हारे ?


अगर तुम हो आजाद पसन्द

तो इतनी तुम मे नफरत कैसी?

स्वार्थ में अंधे हुए हो कहो

ये तुम्हारा वतन कैसे ?


कल तक था भाईचारा यहां

तुमने कैसा यह षड्यंत्र रचा

लगाई तुमने नफरत की आग

कहते हो दिल मे प्रेम भरा है


खुल के आ जाओ भी जालिम

उगल दो सब दिल के गरल को

देश है हम सबका यही

तुम मजहबी लहर फैलाओ ना


सिर्फ लहज़ा सख्त होता,

तो हम चुप भी रह लेते राज

मगर तुम्हारे लफ़्ज़ों में तो

"धर्म का ज़हर" छिपा है ?


कह दिया ये धरती मेरी

हमें तो किसी का डर नहीं

कौन हो तुम पूछने वाले

क्या है अधिकार तुम्हारे ?


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