कैसी चल रही है ?
कैसी चल रही है ?
कांटों से भरी बगीया फुल बन रही है,
ज़िन्दगी परेशान है फिर भी चल रही है।
खुला रास्ता, ग्रीन सिग्नल है मंजिल की ओर,
फिर भी गाड़ी रूक रुक के चल रही है।
वो हर किस्से में अलग किरदार निभा रहा है,
फिर भी देखो, कहानी अच्छी चल रही है।
धोखा होता है मौत को भी अक्सर,
जो सबसे ऊंची है, वही पतंग कट रही है।
मैं डोर को खींचने में मशगूल था,
उधर चकरी फर्राटे से चल रही है।
एक वो थी जो थक रही थी पैदल चलने में,
उधर ये पहाड़ चढ़ रही है।
मैंने पूछा इतना ऊँचा जाकर क्या करोगे,
वो बोली तुम भी चलो वहाँ ज़िन्दगी बंट रही है।
इतनी खामोशी से लफ्ज़ों को संभाला है "पवन",
हर जुबां पर तुम्हारी ग़ज़लें चल रही हैं।