कानून सो रहा है
कानून सो रहा है
कोई खुलेआम दो धर्मों के बीच
ज़हर के बीज बो रहा है
ऑनर किलिंग जैसी हैवानियत के चलते
प्रेम भी खून के आंसू रो रहा है।
अधिकारी लोग नेताओं के हाथों पिट रहे हैं
लेकिन मीडिया चैनलों पर
महुआ मोइत्रा के भाषण का
पोस्टमार्टम हो रहा है
अंबेडकर साहब, आप का कानून सो रहा है।
सुख और शांति से परिपूर्ण इस देश को
कुछ लोग अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के
चलते बांट रहे हैं राम और पैगंबर के नाम पर
ना जाने कितने मासूमों को काट रह
े हैं।
धर्म में कट्टरपंथ का जहर घोलने वालोें
तुम्हारी वजह से हर धर्म
अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है
देशभक्ति ना हो गई टाटा नमक हो गया
जो हर जगह कौड़ियों के भाव बिक रहा है,
लेकिन प्रशासन को क्या
वह तो कहीं दूर चैन से चरस फूंक रहा है
अंबेडकर साहब आप का कानून सो रहा है
अंबेडकर साहब, आप हमारे दिलों में जिंदा है।
मेरी यह छोटी सी कविता आपके
उस कानून पर वार है जो आज
ना चाहते हुए भी अपंग हो चुका है।