जय श्री शंभो!
जय श्री शंभो!
शिव शंभो करता हूँ मैं
तेरा ही गुणगान
पुरी दुनिया में तू ही तो है
देवों का देव महान ।।१।।
करूं तेरी भक्ति मिले शक्ति
नाम जप करूं तेरा ध्यान
तू ही रुद्र तू ही वीरभद्र
तुमसे न कोई महान ।।२।।
शिव शंभो करता हूँ मैं…
हाथों में डमरु कमंडल
भोले भक्तों का तू भोलेनाथ
जटा से बहती पावक गंगा
तू ही गौरी का पंचप्राण ।।३।।
शिव शंभो करता हूँ मैं ...
तू ही बसा तन में मेरे
तो तन कहलाता है शिव
तेरे बिना तन लगे शव निर्जीव
गाता रहूँ मैं जब तक है प्राण ।।४।।
शिव शंभो करता हूँ मैं…
तू ही शंकर कैलाश पती
तू ही तो है पार्वती का नाथ
हे महादेव भोले दे दो आशीष
अर्पित करुॅं तुम्हें पुष्प बेलपान।।५।।
शिव शंभो करता हूँ मैं…
©® प्रा.पुरुषोत्तम म.पटेल " पुष्प "
उपप्राचार्य,कुबेर ज्युनिअर आर्ट्-सायन्स कॉलेज, म्हसावद,ता.शहादा,जि.नंदुरबार [ महाराष्ट्र]
अध्यक्ष, सातपुडा साहित्य परिषद,म्हसावद,
मोबाईल -9421530412