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Prabhanshu Shukla

Inspirational

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Prabhanshu Shukla

Inspirational

जय जवान जय किसान का नारा

जय जवान जय किसान का नारा

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अब मुझे कुछ सा झूठा लगता है 

शहादत जवान की और मेहनत किसान की,

का कोई मोल ही नहीं लगता है 

जय जवान जय किसान का नारा

अब मुझे कुछ झूठा सा लगता है 

अफ़ज़ल को फाँसी नहीं होती यारो

और किसान आत्म हत्या कर कर के मरता है 

जय जवान जय किसान का नारा

अब मुझे कुछ झूठा सा लगता है 

कभी ठिठुरती ठण्ड में 

कभी बारिश के मौसम में 

जब बिछती है लाशें शहादत की महफ़िल में

तो हर एक आदमी की आँखों में नम होता है 

जय जवान जय किसान का नारा

अब मुझे कुछ झूठा सा लगता है 

धरती को हरा भरा कर के वो इस माँ को सलाम करते है, 

कोई और करे न करे ये कमाल तो हमारे गरीब किसान करते है 

फिर भी किसान का परिवार

एक अच्छी सी ज़िन्दगी की आस को तरसता है 

और घर की चोखट पर बैठा जवान का बेटा

अपने पिता का इंतज़ार करता है 

जय जवान जय किसान का नारा

अब मुझे कुछ झूठा सा लगता है


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