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Miss Kavyaa

Classics

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Miss Kavyaa

Classics

जज़्बात

जज़्बात

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रह गया था पिछली दफा जो प्रेम मेरा तुम्हारे पास

आज उसका साज़ बताते हैं..


वक्त बीता कितना, कितने मौसम गुज़रे

तुम्हारी आई कितनी याद, हर बात बताते हैं..


इंतज़ार का आलम बुरा था कितना

हर वो रात बताते हैं..


चांद को देख कर करते थे कितनी बातें

तुम्हारे लिखे हर ख़त का जवाब बताते हैं..


लिखी जा रही है एक कहानी

उसके जज़्बात बताते हैं..


ज़रा ठहरो कुछ देर और

खुद के अनकहे हालात बताते हैं..


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