जिया जले
जिया जले
जलन भी गजब की चीज होती है
किसी की उन्नति देख कर होती है
किसी के चेहरे से जब नूर टपकता है
ये दिल ना जाने क्यों जलने लगता है
कोई अपनी मेहनत से आगे बढता है
आसमां पे कामयाबी की दास्तां लिखता है
उसकी उन्नति के सोपानों को देखकर
ये दिल बेसाख्ता धीरे धीरे जलता है
जब कोई पड़ोसन "छमिया भाभी" सी
"इनसे" मुस्कुरा कर खूब बातें करती है
और "ये" भी पूरे तल्लीन हो बतियाते हैं
तो कसम से तन बदन में आग जलती है
जब किसी पड़ोसी का कोई होनहार बच्चा
बोर्ड की परीक्षा में मैरिट लिस्ट में आता है
और अपना "डब्बू" गोल गोल अंडा लाता है
तो ये दिल ईर्ष्या में जलकर राख हो जाता है
जब ऑफिस में "कुलीग" का प्रमोशन होता है
ना जाने क्यों ये दिल जार जार रोता है
जब पड़ोस में कोई भव्य मकान बनता है
तब भी इस दिल के कोने में कुछ तो जलता है।
दिल की तो आदत पड़ गई है जलने की
बात बात पर सुलगने, आंखें भिगोने की
क्योंकि हम अपने दुख से दुखी नहीं हैं
बल्कि दूसरों के सुख से ज्यादा दुखी हैं
बस, यही कारण है जिया जलने का
जब हम औरों के सुख में मुस्कुरायेंगे
मेरा दावा है कि उसी दिन से देख लेना
इस दिल के सारे दुख दर्द दूर हो जायेंगे।