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Mahananda Bagewadi

Abstract

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Mahananda Bagewadi

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जिंदगी से हिसाब.....

जिंदगी से हिसाब.....

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आ जिंदगी बैठ मेरे सामने

तुझसे पुराना हिसाब चुकाना है।

दुनिया कि सैर करते वक्त 

तुझसे मिली उन ठोकरों को

तुझे वापस लौटाना है।

आ जिंदगी बैठ मेरे सामने

तुझसे पुराना हिसाब चुकाना है।

बचपन मे लूटे तूने  

कितनों के माँ-बाप,

जवानी मे छूटे

 कई पती-पत्नियों के हाथ। 

उन हाथों का हर सवाल 

तुझे आज सुनाना है।

आ जिंदगी बैठ मेरे सामने

तुझसे पुराना हिसाब चुकाना है।

रो-रोकर बिताई हर रात,

अपनी नींदो को अधूरा छोड़ा है,

उन अधूरी हर नींदों को आज 

समेटना है।

आ जिंदगी बैठ मेरे सामने

तुझसे पुराना हिसाब चुकाना है।

वक्त बिताया नहीं था,

वो तो यूँ ही गुजरा कई बार है।

बदला दायरा हर इम्तिहान का,

हर शख्स यहां एक राज़ है,

उस छुपे हर राज़ को तुझे

आज सुनाना है।

आ जिंदगी बैठ मेरे सामने

तुझसे पुराना हिसाब चुकाना है।


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