Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

जीवन की परम ज्योति

जीवन की परम ज्योति

1 min
320


प्रसव वेदना सहती है प्रत्येक माता,

बच्चे के जीवन में फिर

बनती है भागयविधाता।

स्तनपान करके शिशू का

पोषन करती है,

अंधेरे जीवन में आकर

दीप प्रज्वल्लित करती है।


माँ से बढ़कर और कोई नहीं

प्रेम, स्नेह एवं सुंदरता से हमें पाला,

भेदभाव त्याग करके निष्ठा से

किया बड़ा, चाहे वह गोरा हो या काला।


इतनी परोपकारी है,

खुद का ध्यान नहीं परंतु

परिवार का ख्याल रखती है,

खुद धूप में तपकर हमें

शीतल छाँव में रखती है।


हमारी सेहत खराब हो तो

माँ सो नहीं पाती है,

हमारी विपदाओ में माँ

ईश्वर बनकर आती है।


धन्य हो गया जब मैंने माँ को पाया

खुशहाली आई जीवन में

जबसे पड़ी माँ की छाया।


माँ, माँ तो कोई मनुष्य नहीं,

वह है ईश्वर स्वरूप

जननी जैसा कोई नहीं

क्योंकि वह है अनूप

बस माँ ही है जो देती है

सच्चा प्रोत्साहन।


जीवन में प्रगति का बस

माँ ही है वाहन।

इससे सुशील, सुंदर नारी

तुम्हें पूरी आलम में मिलेगी कहीं ?


इस जगत में सबसे होनहार

होती है सभी की माँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract