जीवन और संघर्ष
जीवन और संघर्ष
तू न, जिसे है ढूंढता
वह नहीं यहाँ कहीं
जो धूप है यहाँ अभी
तू भाग कर न जा कहीं
दूर जिसे तू देखता
या है जिसे तू ढूंढता
मार्ग जो न सूझता
है यहीं, न फिर कहीं
तू तथ्य के स्वरूप से
सत्य का इतिहास लिख
है कर्म से बड़ी नहीं
कोई विधा यहाँ कहीं
है दूर जो खिला अभी
वे मंजिलें भी थीं कभी
तू निकट तो आ गया
पर नहीं, यहाँ कहीं
है दौड़ता जो देख कर
वो मरीचिका ही रही
क्या मिला क्या खो गया
यह हिसाब है कहीं
जीवन में संघर्ष नहीं
संघर्षो का जीवन है
ठहर जरा सोच अभी
जो है यहाँ नहीं कहीं
वह रूप नहीं जो धूल जाये
वह शक्ति नहीं जो खो जाये
वह शांति नहीं जो मिट जाये
वह प्यार नहीं जो चुक जाये
वह अपनों से जो मिला यहाँ
यह जीवन तरु है संघर्ष नहीं।
