जीने की ख्वाहिश
जीने की ख्वाहिश
जो छोड़ गया वो छोड़ गया,
किस बात का तुझको ग़म है
ज़रा नज़र उठा के देख यहाँ,
तेरे चाहने वाले क्या कम है
चंद लम्हों की मोहब्बत को खुद पर
मेरी जान ना तू एहसान बना
जीने की अगर जो ख्वाहिश है,
जीवन को तू आसान बना।
प्यार भरा, आस भरी, है उम्मीद भरी
खुद मे तू ज़रा सा झांक तो ले
कड़वे हो जब सारे किस्से
तू हँसी से उसको ढांक तो ले
तो खोज अंधेरे में खुद को,
फिर अपनी नई पहचान बना
जीने की अगर जो ख्वाहिश है,
जीवन को तू आसान बना।
भरने को अपना खालीपन
तू उठा कलम को हाथ में ले
पाना है खुशियों का मतलब
तो अपने ग़मों को साथ में ले
पहचान तू अपनी काबिलियत
तेरी सोच को अपना ज्ञान बना
जीने की अगर जो ख्वाहिश है,
जीवन को तू आसान बना।
इन रस्मों को इन कस्मों को
तू छोड़ दे जग की बातों को
टूटे जिनसे उम्मीद तेरी
तू छोड़ दे ऐसे नातों को
न तेरे सिवा हो ख़ास कोई
लोगों से रिश्ते आम बना
जीने की अगर जो ख्वाहिश है,
जीवन को तू आसान बना।
जो यादें कर दे आँखें नम
उन यादों को तू आग लगा
पल भर की मोहब्बत पाने को
तेरे दामन मे न यूँ दाग़ लगा
सब तरसे तुझे अब पाने को
ऐसा खुद को इंसान बना
जीने की अगर जो ख्वाहिश है,
जीवन को तू आसान बना।
