झलक प्यार की
झलक प्यार की
धूप की किरणों सा उसका आना,
अपनी आँखों में उसको समाना,
बहती हवा सा दरवाज़ा खोलना।
दिल चाहे कुछ तो बोलना।।
मिलते ही थोड़ा शर्माती,
अपनी बातों पे इतराती।
मैं चाहूं उससे नज़रे मिलाना,
वो चाहे आँखों को सुलाना।।
खत्म हुआ इंतज़ार है,
आगे अब इज़हार है।
फिर प्यार से उसने गले लगाया,
मेरी आँखों में आँसू आया।।
चाहा था माथे को चूमना,
दूर कहीं पहाड़ों पे घूमना।
हां करता हूं मैं उससे प्यार,
दूंगा कविता का नायाब उपहार।।