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Deepali Sharma

Romance

3.8  

Deepali Sharma

Romance

जब तू किसी और का होगा

जब तू किसी और का होगा

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तुम भूल जाओगे तो क्या होगा, 

मेरा दिल तब कहीं गुमशुदा होगा, 


तुझे सोचने की हद तक सोचेंगे, 

तुझे भूल जाएँ 

ऐसा भला कहाँ होगा। 


तू मिल जाना रास्ते में कहीं, 

तुझे देखकर मुस्कुराना फिर कहाँ होगा, 

तू देखेगा ज़रूर मुझे, 

मुझसे आँखें मिलाना कहाँ होगा। 


कहीं तो रहेगी तेरे दिल में भी हमारी यादें पुरानी, 

मेरे इश्क़ को भुला पाना कहाँ होगा।


तू जो दिल लगा ले किसी से तो कहना, 

इतनी सच्चाई से फिर किसी का हो जाना कहाँ होगा। 


पूछ बैठे गर वो तुझसे तेरे बीते ज़माने की बात, 

मेरा ज़िक्र तेरी बातों में आना कहाँ होगा। 


तू भूल के भूल न पायेगा मुझे, 

तेरे सफर की लकीरों से मुझे मिटाना कहाँ होगा।


मैं तुझको तस्वीरों में खोजा करूँगी कहीं, 

तुझे अलविदा कहना मुझसे कहाँ होगा, 


बेशक तू हो जाना किसी और का, 

किसी को तेरी जगह दे पाना मुझसे कहाँ होगा। 


मेरे दिल को सुकून, दिमाग को राहत न होगी,

आँखों से नमी को मिटाना कहाँ होगा।


एक जिंदगी लगेगी तुझे भुलाने में,

कुछ अरसों में यादों की गिरफ्त छुडाना कहाँ होगा। 


मैं अब भी तेरी हूँ, मैं तब भी तेरी होंगी, 

तुझे खोकर पाना कहाँ होगा, 


तू अभी मेरा, कल किसी और का हो शायद, 

तेरा मेरा रिश्ता पुराना कहाँ होगा।


तुझे प्यार करूँगी हमेशा मैं, 

तेरे लिए ये दिल दीवाना न होगा, 

किसी और का होगा तू, 

तुझसे दीवानगी निभाना कहाँ होगा।।


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