जब देखा था पहली बार
जब देखा था पहली बार
जब देखा था तुम्हे पहली बार
तब सोचा नहीं था कि कभी
हम भी बनेंगे यार
जब देखा था पहेली बार
तब तुम थी समंदर थी शांत
तब सोचा नहीं था कि कभी
तुम ही बनोगी मेरी आवाज
तब तब थी इतनी दुखी की तुम्हें देखने वाले की भी
आंखे भर आए तभी सोचा नहीं था कि कभी
तुम ही बनोगी मेरी हर खुशियों का द्वार
जब हम बन गए एक सच्चे वाले यार
हम साथ ही रोए साथ ही हसे
साथ ही मनाया हर छोटा बडा त्योहार
पता ही नहीं चला कब बन गई बहने
कब गूजर गए यह हॉस्टल वाले साल
आखिर आ ही गया विदाई का दिन
कभी सोचा नहीं था की एक दूसरे से
बिछड़ने का गम, घर जाने की खुशियों
के सामने छोटा पड़ जाएगा।