जांबाज
जांबाज
भारत में हमारे थे, ऐसे जांबाज।
क्रांति के लिए था, उन वीरों का आगाज।
उनकी वीरता से अपना, वतन है आबाद।
अधीनता से हमको, किया है आज़ाद।
देकर लहू जिगर का, हासिल किया ये राज।
भारत में हमारे थे, ऐसे जांबाज।
चल पड़े थे पथ पर दिल में लेके तरंग,
बलिदान के लिए।
प्राणों को कर गए त्याग, भारत की शान के लिए।
शहीद होने से घबराए नहीं, जान के लिए।
अपनों को भूल गए थे, वतन की आन के लिए।
इस क़दर हुए वतन पे कुर्बान, जैसे
मुस्लिम छोड़ देते हैं कार्य, पढ़ने के लिए नमाज़।
भारत में हमारे थे ,ऐसे जांबाज।
क्रांति के लिए था, उन वीरों का आगाज।
बहुत ही भयानक थी, हमारी दुर्गति।
उनकी शहादत से हमको, मिली है जागृति।
याद रहेगी हमको, उन वीरों की वीर गति।
उनको कभी न भूलेंगे हम, वो अपने हैं प्रकृति।
ये पवन ये परचम ये हरी-भरी खुशहाली,
उन्हीं की बदौलत वतन में है आज।
भारत में हमारे थे,ऐसे जांबाज।
क्रांति के लिए था, उन वीरों का आगाज।
याद रखना वतन वालों, शहीदों की दुहाई।
संग ले गए अपने वो, वतन की तन्हाई।
मिटा गए वतन से, सितम की परछाईं।
दासत्व की आग सुलगती हुई,
अपने लहू से बुझाई।
हम भवरे हैं शहीदों की खुशबू के,
शहीद हमारे हैं बाग।
भारत में हमारे थे, ऐसे जांबाज।
क्रांति के लिए था, उन वीरों का आगाज।
चुप-चाप रहना ज़ुल्म को सहना,
बस अपनी यही थी कहानी।
हर वर्ष जो फहराते हैं तिरंगा,
शहीदों की याद न होने देते हैं पुरानी।
जब शहादत की जरूरत पड़े वतन को,
ये जान हमें नहीं चाहिए छुपानी।
ये वतन है अपना, और ये दुनिया
तिरंगे की दीवानी।
वतन के लिए बस मीठे निकले,
जुबां से निकले जो भी अल्फ़ाज़।
भारत में हमारे थे,ऐसे जांबाज।
क्रांति के लिए था,उन वीरों का आगाज।
ऐ वतन के वीर जवानों,
तुम्हारी अमानत ये ध्वज हम फहराएंगे।
नमन तुम्हारी वीरता को हमारा,
हम भी किसी से कभी न घबराएंगे।
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
आपस में हम मिलकर वतन को चमकाएंगे।
गमों की हो चाहे बारिश कितनी,
फिर भी हम मुस्कुराएंगे।
गूंज रही है हमारे कानों में,
आपके हौसलों की आवाज़।
भारत में हमारे थे, ऐसे जांबाज।
क्रांति के लिए था, उन वीरों का आगाज।